Tuesday, September 9, 2008

ग़ज़ल

जुदाई

- श्यामल सुमन

गीत जिनके प्यार का भर जिंदगी गाता रहा ।
बेरूखी से कह दिया अब न कोई नाता रहा ।।

हर जुदाई और मिलन में नम थीं आँखें आपकी ।
क्या खता ऐसी हुई यह सोच घबराता रहा ।।

जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी ।
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा ।।

भूल खुद की भूल से गर आइने में देखते ।
पल न ये आता कभी मैं खुद को समझाता रहा ।।

आपको अमृत मिले पीया जहर हूँ इसलिए ।
कितने अवसर अबतलक आता रहा जाता रहा ।।

जो न सोचा हो गया कैसे हुआ ये क्या पता ।
बात ऊँची की थी हमने इस पे शरमाता रहा ।।

लुट गयी खुशबू सुमन की जब जुदाई सामने ।
बात खुशियों की करें क्या गम पे गम खाता रहा ।।
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