Saturday, October 18, 2008

कविता

हर बच्‍चा हो मेरे देश का सम्‍मान


- डी. अर्चना, चेन्नै

मेरा भारत महान
जहाँ जन्मे हर बच्चे को
मिले माता-पिता का भरपूर प्यार
मानवाधिकार की छत्र-छाया में आज़ाद ज़िंदगी
जीने का हक बच्चों का जन्‍मसिद्व अधिकार है।

मनोविकास करने
जीवन में प्रगति पाने
आज़ादी से ज़िंदगी बिताने केलिए
हिंदुस्‍तान का बच्‍चा-बच्‍चा हकदार है।

भारत का संविधान
सामाजिक – राजनीतिक - आर्थिक स्थितियाँ
धर्म के रीति रिवाज, जन कल्‍याण संस्‍थाएं
बच्‍चों के जीने के अधिकार को
और भी करें मज़बूत।
कोई भी इसके खिलाफ़
न करे करतूत ।

पूरे विश्‍व में इसका प्रचार हो
बच्‍चों के कल्‍याण में ही
विश्‍व का कल्‍याण निहित है
मानवता का यह संदेश, दस दिशाओं में गूजता रहें।

जब स्‍वास्‍थ पालन-पोषण
नैतिक शिक्षा, सुखद जीवन
रोटी, कपड़ा और मकान
सभी को मिले इसका वरदान।

बच्‍चों की सुरक्षा पर हो अभियान
हम सबको इन सब पर हो अभिमान
कड़ी निगरानी रखें...कानून व संविधान
तब ही होगा इन बच्‍चों का कल्‍याण ।

प्राथमिक शिक्षा हो अनिवार्य
बाल-मज़दूरी का हो निर्मूलन
जो भी इसका करते हैं अवहेलन
दंड नीति का हो पालन हो अनिवार्य
क्‍यों कि आज के बालक ही “भविष्‍य के नागरिक”।

मेरे देश का विकास
इन नन्‍ने-मुन्‍ने बच्‍चों की आंखों में है
इनकी आशाओं से ही
मेरा भारत बने महान
विश्‍व में स्‍थापित हों, नए नए कीर्तिमान।
हर बच्‍चा हो मेरे देश का सम्‍मान
भारत माता की जान-आन और शान ।

1 comment:

Sherfraz said...

Child human rights should be protected by the government. The feeling suld be supported by world human righs. It should me made a universally accepted fact.