Thursday, August 13, 2009

अरुण मितल 'अद्भुत' राजेश चेतन काव्य पुरस्कार से सम्मानित






शनिवार ८ अगस्त सायं सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा राज्य स्तरीय राजेश चेतन काव्य पुरस्कार समारोह एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह में वन पर्यटन मंत्री किरण चौधरी मुख्यातिथि थी। कार्यक्रम में राजेश चेतन काव्य पुरस्कार ओज के युवा हस्ताक्षर अरुण मितल 'अद्भुत' को प्रदान किया गया दिया गया। अरुण अद्भुत को यह पुरस्कार उनकी साहित्यिक प्रतिभा तथा साहित्य के प्रति उनके अप्रतिम समर्पण के लिए दिया गया. राजेश चेतन काव्य पुरस्कार हरियाणा राज्य के उस कवि को दिया जाता है जिसका काव्य के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान रहा हो। जो काव्य पाठ मे समर्थ, समाज व राष्ट्र के लिए समर्पण भाव वाला हो। इस पुरस्कार मे मञ्च की ओर से 5100 रु॰ शाल, प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता हैं। यह पुरस्कार प्रति वर्ष कवि राजेश 'चेतन' के जन्मदिवस पर 8 अगस्त को आयोजित कवि सम्मेलन में दिया जाता है। सम्मान समारोह के बाद कवि सम्मेलन में अलग-अलग अंदाज में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और वर्तमान व्यवस्था पर जमकर कटाक्ष किए। पुरस्कार समारोह के बाद एक भव्य कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमे देश के प्रख्यात कवियों ने काव्य पाठ किया. वैसे मंच पर युवा कवियों की प्रस्तुतियों को विशेष रूप से सराहा गया. कवि सम्मेलन की शुरूआत दिल्ली के कवि की। जिगर माँ बड़ी आग है कविता को श्रोताओं ने खूब पसंद किया, इस कविता की कुछ पंक्तियाँ थी:


आज आम आदमी की पेट की आग
इस तरह जल रही थी
की उसके सामने जिगर की आग बुझ गयी थी
आज इंसान जिगर की आग में नहीं
पेट की आग के लिए भाग रहा है
और अपने परिवार की पेट की आग मिटने के लिए
दिन का चैन खो रहा है और रातों में जाग रहा है


ओज के युवा हस्ताक्षर कलाम भारती ने आतंकवाद, मजहब की लड़ाई पर करारा प्रहार किया उनकी कविता की पंक्तियां थी
मंदिरों में गूंजते है पुण्य स्वर आरती के,
मज्जिदों में होती है पवन अजान है।
शुभ हो जाता प्रभात गिरजा की घंटियों से
गुरूद्वारे देते गुरुओं का दिव्य मान है।
गीता, पुराण, बाइबल हो या गुरुग्रंथ
पाते सभी भारत में आदर सम्मान है
कार्यक्रम में सम्मानित कवि ओज के युवा हस्ताक्षर अरुण मित्तल अद्भुत ने अपनी कविता 'जो सींच गए खून से धरती' पढ़कर समस्त सभागार को राष्ट्रीयता के रंगों में डुबो दिया उनकी इन पंक्तियों पर विशेष रूप से श्रोताओं का आर्शीवाद मिला
गांधी, सुभाष, नेहरु, पटेल, देखो छाई ये वीरानी
अशफाक भगत बिस्मिल तुमको, फिर याद करें हिन्दुस्तानी
है कहा वीर आजाद और वो खुदीराम सा बलिदानी
जब लाल बहादुर याद करूं, आँखों में भर आता पानी
उनके इन शेरों को भी खूब दाद मिली :
जो उजालों में मिलेंगे शाम को
वो सुबह जैसा कहेंगे शाम को
इन चिरागों में किसी का है लहू
खुद ब खुद ये जल उठेंगे शाम को
न ही मंजिल रास्ता कोई नहीं
सच है फिर मेरा खुदा कोई नहीं
है बड़ा ये गावं भी वो गावं भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं
वरिष्ठ कवि राजेश चेतन जैन ने अपनी कविता "उसके बस की बात नही" माध्यम से अमेरिका, पाकिस्तान, चीन पर निशाने साधे। उन्होंने इस कविता में राजनेताओं के चरित्र को भी लपेटा और वर्तमान व्यवस्था को बदलने का परामर्श भी दिया। उनकी कविता की कुछ विशेष पंक्तियाँ थी:
बात बात में बात बनाना उनके बस की बात नही।
घर के लोगों को समझाना उनके बस की बात नही॥
जात पात का हाथी लेकर हाथ हिलाना आता है।
उस हाथी पर दिल्ली आना उनके बस की बात नही॥

मनमोहन जी हर चुनाव में पी॰ एम॰ तो बन सकते हैं।
लोक सभा का एम॰ पी॰ बनना उनके बस की बात नही॥
मंच संचालन कर रहे कवि चिराग जैन ने अपनी गजल कुछ इस अंदाज़ में पढ़ी:
जहां हमको जन्नत का मंजर मिला है
वहां तुमको बस पत्थर मिला है,
कोई तेरी रहमत को माने ने माने,
तेरा नाम सबकी जुवा पर मिला है।
अनपढ़ माँ नाम की उनकी विशेष कविता ने श्रोताओं का माँ के प्रति नमन कराया. इस कविता अंतिम पंक्तियों ने सचमुच एक अनमोल सन्देश से श्रोताओं के मस्तिष्क को झंकृत कर दिया :
सच ! कोई भी माँ अनपढ़ नहीं होती
सयानी होती है
क्योंकि
बहुत साड़ी डिग्रियां बटोरने के बावजूद
बेटियों को उसी से सीखना पड़ता है
की गृहस्थी कैसे चलानी होती है
दिल्ली की ही व्यंगकार बलजीत कौर तन्हा ने जूतों की महिमा सुनाई उनकी पंक्तियाँ थी जूते ने आज पांव में आने से किया इंकार,
बोला तुम कवि हो तो पहले सुनो मेरी पुकार,
नही चाहता किसी पीएम पर डाला जाऊं,
नही चाहता किसी पर डाला जाऊं,
गर चाहते हो मुझे मारना तो मेरी चाहता को समझ जाओ,
जूता उठाना तुम बाद में
पहले कसाव को चौराहे पर लटकाओ।
बलजीत कौर की जिन्दा शहीद कविता में शहीद की माँ और बहन को जिन्दा शहीद मानकर किये हुए प्रयोग से सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं की आँखें नाम हो गयी.
हास्य कवि बागी चाचा ने वर्तमान परिवेश के परीक्षा ढर्रे पर जम कर कटाक्ष किए। उन्होंने राष्ट्र धरम की भी बात की उनकी रचना थी
तोड़ दे अब जाति ओर धर्म की मचान को,
भूल जा अभी तू गीता और पुराण को,
बट चुकी है यह धरती आज तुकड़ों में बहुत,
धर्म तू बना ने अपना पूरे आसमान को।
उनकी हास्य कविताओं 'जूता', मुर्गासन, पेड़ और पुत्र पर भी लोगों ने खूब आनंद लिया. "जूता कविता की विशेष पंक्तियाँ थी :
एक भ्रष्टाचारी की उतारने को आरती
जूते को पानी में भिगोया
पानी से निकलते ही
जूता टप्प टप्प रोया
स्थानीय कवि हनुमान प्रसाद अग्निमुख ने अपनी कविता के माध्यम से पाकिस्तान को दो-दो हाथ करने की चेतावनी दी। उनकी काव्य पाठ के दौरान पंडाल निरंतर तालियों से गूंजता रहा।
चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के सचिव माधव कौशिक ने भी सारगर्भित काव्य पाठ कर उपस्थित जनों का मन मोहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता गणेश गुप्ता ने की। इस अवसर पर नगर परिषद चेयरपर्सन सेवा देवी ढिल्लो विशिष्ट अतिथि थी। चन्द्रभान सुईवाला स्वागत अध्यक्ष थे। कवि सम्मेलन के समापन पर सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष डॉ. बीबी दीक्षित, महासचिव जगत नारायण भारद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के संयोजक दीवान चंद रहेजा व शशि परमार ने सफल आयोजन के लिए मंच के सदस्य व पदाधिकारियों को बधाई दी। सभी ने युवा कवि अरुण मित्तल अद्भुत को सम्मान प्राप्त करने पर बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की .

No comments: