Thursday, August 26, 2010

मिट्टी के बर्तन - डॉ. एस. बशीर की सोलह मिनी कविताएँ

मिट्टी के बर्तन

यदि आपका,
हर काम होना है आसान।
तो बेच डालो अपना ईमान,
दिया करो कुछ न कुछ ईनाम।
नहीं तो कम से कम दो, एक मुस्कान (1)
***
यारी फूल है, फिज़ा में खुशबू बिखेरता।
चमन के लिए,
चराग मयस्सर है।
जीवन के लिए,
अंधेरे को चीर रोशनी को लाता,
हवा-सी थोड़ी भी, भूल हो तो।
फूल मुरझाता, चराग बुझ जाता। (2)

***
जो जिंदगी से,
करते है जितना प्या़र। उससे भी ज्यादा,
मौत से करते हैं इनकार। जिंदगी तो रहम खाती,
लेकिन मौत बेरहम हो जाती। (3)
***
अगर गुस्से को, न करें रिफ्यूज
दिमागी बल्ब हो जायेगा फ़्यूज।
वक्त का करें हमेशा यूज,
रिश्तों का न करें मिस्यूज (4)

***
इस दुनिया में,
सभी के दोस्त हैं आंसू। सिर्फ ग़म में ही नहीं,
खुशी में भी साथ देते।
हमेशा दवा और दुआ बनकर,
काम आते, जीने की प्रेरणा देते। (5)
***
सूखे पत्ते,
बहार के राज़ !
बुजर्ग ........
जिंदगी के साज़ हैं । (6)
***
मेरी दुआ है तुझी से
अय! खुदा..... ! दुश्मदनों से बचा सदा,
तारीफ करने वाले दोस्तों से कर जुदा।
मतलब के लिए जो हो जाते हैं फिदा,
कभी मंजूर न हो उनकी अदा । (7)
***
बादलों की तरह, फूलों पर ही नहीं
काटों पर भी बरसों, सदा प्यास से तरसों।
प्यार बरसाना, दिलवालों का खेल है
यही जीवन का मेल है, मंजिल की रेल है। (8)
***
‘तम’ में ही
सितारें नज़र आते, ‘गम’ में ही रिश्तें काम आते।
आते जाते ये सिल‍-सिले,
जीवन का मिसाल बताते। (9)
***
सोना सब के लिए
बराबर...... लेकिन
सपनों के है रंग हजार। (10)
***
किसी की आंसुओं पर
तरस न खाना,
क्यों कि .......... मगरमच्छ भी,
बहाया करते........ (11)
***
‘हार’ को
‘जीत’ में बदलना ही,
जिंदगी का मकसद ।
कायर को शायर बनाना ही,
महफिल की कसरत । (12)
***
सागर व शायरी
जिनकी नहीं कोई गहराई।
जितना डूबोगे,
उतना पाओगे।
क्योंकि..............
किनारे वालों को,
इसका अंदाज नहीं होता। (13)
***

यदि इस दुनिया में कांटे न होते तो,
फूलों की हिफाज़त कौन करता ?
आंसू न होते तो,
मुस्कान की चाहत कौन करता ?
मौत न होती तो,
कौन पहचानता कुदुरत ?
यदि तुम न होती तो, मैं जी सकता ? (14)
***
मुहब्बत एक
सागर! जिसकी कोई गहराई नहीं ।
जिंदगी एक
जहर!
जिसकी कोई
रिहाई नहीं । (15)
***
जीवन पलते हैं,
सिगरेट जलते हैं,
रिश्ते बदलते हैं,
हम हाथ मलते हैं,
कोसों दूर चलते हैं,
आखि‍र........ राख में बदलते हैं,
पानी में मिलते हैं। (16)

1 comment:

हमारीवाणी said...

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