Tuesday, June 7, 2011

कविता - मगर आँख में नीर है

मगर आँख में नीर है


-श्यामल सुमन


कंचन चमक शरीर है
मगर आँख में नीर है

जिसकी चाहत वही दूर में
कैसी यह तकदीर है

मिल न पाते मिलकर के भी
किया लाख तदबीर है

लोक लाज की मजबूती से
हाथों में जंजीर है

दिल की बातें कहना मुश्किल
परम्परा शमसीर है

प्रेम परस्पर न हो दिल में
व्यर्थ सभी तकरीर है

पी कर दर्द खुशी चेहरे पर
यही सुमन तस्वीर है

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