Saturday, April 30, 2011

श्यामल सुमन की एक कविता

लोकतंत्र सचमुच बीमार


- श्यामल सुमन



राष्ट्र-गान आये ना जिनको, वो संसद के पहरेदार।
भारतवासी अब तो चेतो, लोकतंत्र सचमुच बीमार।।

कहने को जनता का शासन, लेकिन जनता दूर बहुत।
रोटी - पानी खातिर तन को, बेच रहे मजबूर बहुत।
फिर कैसे उस गोत्र - मूल के, लोग ही संसद जाते हैं,
हर चुनाव में नम्र भाव, फिर दिखते हैं मगरूर बहुत।।
प्रजातंत्र मूर्खों का शासन, कथन हुआ बिल्कुल साकार।
भारतवासी अब तो चेतो, लोकतंत्र सचमुच बीमार।।

बहुत शान से यहाँ लुटेरे, "बड़े लोग" कहलाते हैं।
मिहनतकश को नीति-वचन और वादों से सहलाते हैं।
हैं अभाव में अक्सर जीते, जिनके हैं ईमान बचे,
इधर घोषणा बस कागज में, बेबस को बहलाते हैं।।
परिवर्तन लाजिम है लेकिन, शेष क्रांति का बस आधार।
भारतवासी अब तो चेतो, लोकतंत्र सचमुच बीमार।।

वीर-शहीदों की आशाएँ, कहो आज क्या बच पाई?
जीवन-पथ पर बहुत कठिन है, धारण करना सच्चाई।
मन - दर्पण में अपना चेहरा, रोज आचरण भी देखो,
निश्चित धीरे-धीरे विकसित, होगी खुद की अच्छाई।।
तब दृढ़ता से हो पायेगा, सभी बुराई का प्रतिकार।
भारतवासी अब तो चेतो, लोकतंत्र सचमुच बीमार।।

कर्तव्यों का बोध नहीं है, बस माँगे अपना अधिकार।
सुमन सभी संकल्प करो कि, नहीं सहेंगे अत्याचार।।


Friday, April 29, 2011

कविता - पर्यावरण




पर्यावरण



- एमडी. सादिक, चेन्नै ।




खुदा की प्रकृति बड़ी न्यारी

सुंदर कोमल पेड़ बड़े उपकारी

राही को छाया देते

सबको फूल व फल देते

प्राणवायु देकर विष वायु लेते

पर्यावरण को साफ रखते

पशुओं की भूख मिटाते

पक्षियों का घर बासाते

इसी पेड़ के नीचे

गौतम बुद्ध बने

नानक ने ग्रंथ लिखे

लोग तपस कर महान बने

इसकी संजीविनी से स्वस्थ बने

पेड़ लगाना पुण्य कार्य है

आओ हम सब

कदम बढ़ाकर वृक्ष लगाएं

धरती पर हरियाली सजाकर

मानव जीवन में खुशहाली लाएँ ।

Thursday, April 28, 2011

कविता

मँहगी रोटी - सस्ती कार


- श्यामल सुमन



सोने की चिड़िया कभी अपना भारत देश।
अब के जो हालात हैं सुमन हृदय में क्लेश।।

मँहगी रोटी हो रही लेकिन सस्ती कार।
यही प्रगित की माप है समझाती सरकार।।

भूखे हैं बहुजन यहाँ उनके छत आकाश।
संकट में सब खो रहे जीने का विश्वास।।

देख क्रिकेटर को मिले रूपये कई करोड़।
लाख शहीदों के लिए हाल दुखद बेजोड़।।

प्रायः सब कहते सफल अन्ना का अभियान।
असल काम तो शेष है भ्रष्टों की पहचान।।

कविता - हिंदी का अभिवंदन

हिंदी का अभिवन्दन



-डॉ.एस. बशीर, चेन्नै



वीणा का नाद है
वाणी का वाद है
सब का आकर्षण है
राष्ट्र की शान है
समाज का दर्पण है
साहित्य का सृजन है
ज्ञान की धरा है
सब ने इसे वारा है -ये हिंदी है
विनय की भाषा है
संस्कृति की परिभाषा है
आत्मा का निवेदन है
दिलों की धड़कन है-ये हिंदी है
सब वाकिफ़ हैं इसकी गरिमा
विश्व में यह भाषा सरताज है
इस का भविष्य है बड़ा उज्ज्वल
करते हैं इस भाषा का शत-शत
अभिवंदन

Saturday, April 23, 2011

कविता - माँ, मुझे मार ही डाल.....

माँ, मुझे मार ही डाल.....


- नविन धामेचा

प्रथम खंड : ‘बेटी’ है, गर्भपरीक्षण में पाया गया
माँ-बाप(!)ने गर्भपात का निश्चय किया ।



बेटी हूँ,
तो क्या इस दुनिया में आ नहीं सकती ?
माता-पिता का प्यार पा नहीं सकती ?
दोष मेरा क्या है अगर मैं लड़का नहीं
क्या मैं तेरी इच्छा का फल नहीं ?,
मैं तेरे ही बाग का फूल, माँ मुझे मत मार ।

गोद में तेरी खेलूंगी तेरी गुड़िया बनकर
किलकिलाहट से भर दूंगी तेरा ये घर,
तेरा ही रूप, मैं तेरी ही परछाई हूँ
दामन में अपने तुझे ही समेटके लाई हूँ,
मैं हूँ तेरा ही अंश, माँ मुझे मत मार ।


कहते हैं मां तो ईश्वर का रूप होती है
और मुझसे ही तो माँ बनती है,
अगर मुझे ही नहीं अपनाओगे
तो ईश्वर को कहाँ से पाओगे ?
मैं इसका वरदान, माँ मुझे मत मार ।


चुपचाप सब सह लूँगी मुझे जीने दे
जीवन की एक साँस मुझे भी लेने दे,
कुदरत ने बनायी है ये धरती सबके लिये
फिर मेरे साथ ये नाइन्साफी किस लिये ?
मैं एक नन्ही-सी जान, मा मुझे मत मार ।


मा, तू भी तो बेटी बनकर ही आई थी
ममता और करुणा साथ में ही लाई थी,
आज इतनी निर्दयी कैसे हो गई ?
नारी ही नारी की दुश्मन हो गई ?
मैं तो दो घर की ‘शान’, माँ मुझे मत मार ।



दूसरा खंड : ‘बेटी’की काकलूदी सुनी नहीं गई
गर्भपात की सारी तैयारियाँ हो गईं ।


अफसोस, मनुष्य के गर्भ में आ गई
जिंदगी से पहले ही मौत गले लग गई,
काश, अगला जन्म कोई पशु का मिले
जिंदगी जीने का एक मौका तो मिले,
मैं अबला और लाचार, माँ मुझे मत मार ।


शायद अच्छा ही होगा अगर मर जाऊँगी
चलो इस स्वार्थी दुनिया से तो बच जाऊँगी,
मुझे किसीकी माँ, बहन, बीवी नहीं बनना
‘बेटों’ के लिये बनी दुनिया में ‘बेटी’ नहीं बनना,
नहीं बनना मुझे इंसान, माँ मुझे ....

Monday, April 18, 2011

श्यामल सुमन के दोहे

निश्छल मन होते जहाँ

सुमन प्रेम को जानकर बहुत दिनों से मौन।
प्रियतम जहाँ करीब हो भला रहे चुप कौन।।

प्रेम से बाहर कुछ नहीं जगत प्रेममय जान।
सुमन मिलन के वक्त में स्वतः खिले मुस्कान।।

जो बुनते सपने सदा प्रेम नियति है खास।
जब सपना अपना बने सुमन सुखद एहसास।।

नैसर्गिक जो प्रेम है करते सभी बखान।
इहलौकिकता प्रेम का सुमन करे सम्मान।।

सृजन सुमन की जान है प्रियतम खातिर खास।
दोनो की चाहत मिले बढ़े हृदय विश्वास।।

निश्छल मन होते जहाँ प्रायःसुन्दर रूप।
सुमन हृदय की कामना कभी लगे न धूप।।

आस मिलन की संग ले जब हो प्रियतम पास।
सुमन की चाहत खास है कभी न टूटे आस।

व्यक्त तुम्हारे रूप को सुमन किया स्वीकार।
अगर तुम्हें स्वीकार तो हृदय से है आभार।।

सोच सुमन नादान।

प्रेम सदा जीवन सुमन जीने का आधार।
नैसर्गिक उस प्रेम का हरदम हो इजहार।।

मन मंथन नित जो करे पाता है सुख चैन।
सुमन मिले मनमीत से स्वतः बरसते नैन।।

भाव देखकर आँख में जगा सुमन एहसास।
अनजाने में ही सही वो पल होते खास।।

जीवन में कम ही मिले स्वाभाविक मुस्कान।
नया अर्थ मुस्कान का सोच सुमन नादान।।

प्रेम-ज्योति प्रियतम लिये देख सुमन बेहाल।
उस पर मीठे बोल तो सचमुच हुआ निहाल।।

प्रेम समर्पण इस कदर करे प्राण का दान।
प्रियतम के प्रति सर्वदा सुमन हृदय सम्मान।।

सुख दुख दोनों में रहे हृदय प्रेम का वास।
जब ऐसा होता सुमन प्रियतम होते खास।।

मान लिया अपना जिसे रहती उसकी याद।
यादों के उस मौन से सुमन करे संवाद।।


Friday, April 15, 2011

प्रमोद वर्मा युवा कविता सम्मान की शुरुआत


रायपुर । राज्य की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगठन प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान अब देश की समकालीन युवा कविता को प्रोत्साहित करने के लिए एक और राष्ट्रीय सम्मान देगा । संस्थान द्वारा लिये गये निर्णायानुसार वर्ष 2010 से प्रत्येक वर्ष 40 वर्ष की आयु के कम उम्र के एक ऐसे युवा कवि को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोद वर्मा कविता सम्मान दिया जायेगा जिसने वर्ष भर की प्रकाशित हिन्दी कविताओं में अपने नवाचारी प्रयोग से हिन्दी कविता संसार को नयी दृष्टि देने का अनूठा प्रयास किया हो साथ ही जनतांत्रिक मूल्यों के विकास, सामाजिक सरोकारों और मानव के सम्मुख भावी चुनौतियों को समझने की नयी भाषा और प्रभावकारी शिल्प रचा हो।

सम्मान-विवरण

चयनित युवा कवि को एक आत्मीय और राष्ट्रीय आयोजन में 5001 रुपये का नगद पुरस्कार, प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति चिन्ह, प्रमोद वर्मा समग्र, शॉल-श्रीफल से अभिनंदित किया जायेगा । इसके अलावा उसकी किसी काव्य-कृति के पाण्डुलिपि का प्रकाशन भी संस्थान के पूर्ण सहयोग से किया जायेगा । जिसकी 100 प्रतियाँ सम्मानित कवि को भेंट किया जायेगा । यह सम्मान इस वर्ष 23-24 जुलाई, 2011 को संस्थान के वार्षिक और राष्ट्रीय आयोजन में दिया जायेगा ।

चयन प्रकिया

1. चयन हेतु प्रारंभिक अनुशंसा- ऐसे युवा कवि के नाम की प्राथमिक अनुशंसा सहृदय पाठक, मित्र कवि, साहित्य-अध्यापक, आलोचक, समीक्षक, पत्र-पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य, पुस्तक प्रकाशक अपनी टिप्पणी, कवि की बायोडेटा (यदि संग्रह प्रकाशित हुआ हो तो उसकी 3 प्रतियाँ के साथ-) चयन समिति के संयोजक प्रेषित कर सकते हैं । स्वयं कवि भी आत्मीय भाव से पहल करते हुए भी अपनी प्रविष्टि संयोजक को भेज सकते हैं । प्रविष्टि भेजते वक़्त इस बात का अवश्य ध्यान रखा जाये कि कवि की कविताएँ या कविता संग्रह वर्ष 1 जनवरी 2010 से 31 दिसंबर 2010 के मध्य प्रकाशित हुए हों ।

2. अंतिम निर्णय हेतु चयन समिति का गठन- युवा कवियों के पक्ष में प्राप्त प्रविष्टियों में से अंतिम चयन करने हेतु निम्नांकित विशेषज्ञों की एक चयन समिति प्रस्तावित किया गया है -

· डॉ. अजय तिवारी, वरिष्ठ आलोचक, दिल्ली

· श्री अग्निशेखर, प्रतिष्ठित कवि, जम्मू

· श्रीप्रकाश मिश्र, संपादक, उन्नयन, इलाहाबाद

· श्री नासिर अहमद सिंकदर, युवा कवि, भिलाई

· श्री जयप्रकाश मानस, कवि एवं संयोजक, रायपुर

प्रविष्टि प्राप्ति की अंतिम तिथि : 15 जून, 2011

प्रविष्टि भेजने का पता

संयोजक,
प्रमोद वर्मा कविता सम्मान चयन समिति,
एफ-3, छ.ग.मा.शि.मं. आवासीय परिसर
दयानंद उप डाकघर के पास, पेंशनवाड़ा,रायपुर-छत्तीसगढ़-492001,
ईमेल-pandulipipatrika@gmail.com

Monday, April 11, 2011

कविता


प्रिय


- राकेश मिश्र, पुदुच्चेरी



प्रिय, जिसे तुम दान कह कर


कर्म पर धार्मिकता का चादर


चढ़ाती हो।


दरअसल ऐसा है नहीं।


मैं तो इसे दान मानता ही नहीं।


यह तो लोक हित और


ज्नहित का हेतु है।


बहुत सहज बात है,


जिसके त्याग से


किसी की क्षुधा तुष्ट होती है,


वही तो व्यक्ति का अभीष्ट होता है।


तुम दस कदम चल सकती हो,


जिसके पैर ही नहीं


क्या चलेंगे वे भला ?


चलाने के लिए सृष्टि को


चलना तो होगा ही।


चलायमान जगत के लिए


भला तुम्हें यह गवारा नहीं ?

Friday, April 8, 2011

मुशायरा जश्न-ए-बहार - 2011


Mushaira Jashn-e-Bahar – 2011 Celebrating the Global Spread of Urdu The happenings in Egypt caught the fancy of the free thinking world this year. For the first time since the Tehrir Square revolution, the fikr-o-fan, the thought and idiom, of today’s Egypt finds expression in India at mushaira Jashn-e-Bahar 2011. An Urdu professor from Egypt, a young American student from Texas, an Arab litterateur who composes Urdu Verse, a migrant writer from Canada and the best among the practitioners of the art from Pakistan and India, mushaira Jashn-e-Bahar celebrates the global spread of the beautiful language this year. Our films, the diaspora and the potency of Urdu has created a remarkable global identity for this essentially Indian language and this year, mushaira Jashn-e-Bahar underscores this emerging aspect of Urdu’s poetic expression, says Kamna Prasad, Founder of the non-profit Jashn-e-Bahar that organizes this international mushaira. Poetry is a gift in any language. But when its Urdu poetry, and that too read live to an audience hungry for verse, no platform does it better than mushaira Jashn-e-Bahar. Continuing its tradition of bringing the best of contemporary Urdu poetry to its lovers, mushaira Jahsn-e-Bahar marks its 12th edition in the capital on April 8th. Contemporary Urdu poetry and the best of our syncretic cultural traditions are showcased at Mushaira Jashn-e-Bahar 2011 where modern calligraphy by eminent painter M F Husain representing the sweep and reach of Urdu, finds place amid cutting edge new media and set décor reminiscent of the classical age of Urdu poetry. This biggest non-official, non-political mushaira on the capital’s cultural calendar will be held at Delhi Public School, Mathura Road, New Delhi, on Friday, April 8th, 2011, 7 pm onwords. The poets list for the evening includes Prof Ahmad Alqadi, Cairo, Egypt, Max Bruce, Austin, the USA, Ishrat Afreen saheba, Houston, the USA, Omar Salem Al Aidroos, Jeddah, the UAE, Nasim Syed saheba, Toronto, Canada, Rehana Roohi saheba, Karachi, Pakistan, Anwar Masood, Islamabad, Pakistan. And from India, Dr. Shahryar, Prof Waseem Bareilvi, Javed Akhtar, Popular Meruthi, Mansoor Usmani, Nusrat Mehdi, Shabeena Adeeb, Agha Sarosh, Aqeel Nomani and Alok Srivastava. Hon’ble Speaker, Lok Sabha, Smt Meira Kumar will be the chief guest. Chief Election Commissioner, Dr S Y Quraishi will preside at the mushaira where Hon’ble Mr Justice Markandey Katju, Supreme Court of India, will be the guest of honour. Smt Meira Kumar will also release ‘Kabhi Kabhi’, a new collection of the works of eminent poet Sahir Ludhiyanvi on the occasion. The book is the latest in a series of collections of classical Urdu poets in Devnagri brought out by Jiya Prakashan, a sister concern of Jashn-e-Bahar Trust. These publications aim at reaching the best in Urdu verse to readers who are not familiar with Urdu script. Aparna Srivastava Reddy, Convenor Ph: 41642893, Mobile: 9310904348