Thursday, February 2, 2012

दोहा सलिला:


दोहा संग मुहावरा

संजीव 'सलिल'

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दोहा संग मुहावरा, दे अभिनव आनंद.

'गूंगे का गुड़' जानिए, पढ़िये-गुनिये छंद.१.

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हैं वाक्यांश मुहावरे, जिनका अमित प्रभाव.

'सिर धुनते' हैं नासमझ, समझ न पाते भाव.२.

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'अपना उल्लू कर रहे, सीधा' नेता आज.

दें आश्वासन झूठ नित, तनिक न आती लाज.३.

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'पत्थर पड़ना अकल पर', आज हुआ चरितार्थ.

प्रतिनिधि जन को छल रहे, भुला रहे फलितार्थ.४.

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'अंधे की लाठी' सलिलो, हैं मजदूर-किसान.

जिनके श्रम से हो सका भारत देश महान.५.

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कवि-कविता ही बन सके, 'अंधियारे में ज्योत'

आपद बेला में सकें, साहस-हिम्मत न्योत.६.

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राजनीति में 'अकल का, चकराना' है आम.

दक्षिण के सुर में 'सलिल', बोल रहा है वाम.७.

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'अलग-अलग खिचडी पका', हारे दिग्गज वीर.

बतलाता इतिहास सच, समझ सकें मतिधीर.८.

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जो संसद में बैठकर, 'उगल रहा अंगार'

वह बीबी से कह रहा, माफ़ करो सरकार.९.

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लोकपाल के नाम पर, 'अगर-मगर कर मौन'.

सारे नेता हो गए, आगे आए कौन?१०?

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'अंग-अंग ढीला हुआ', तनिक न फिर भी चैन.

प्रिय-दर्शन पाये बिना आकुल-व्याकुल नैन.११.

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