Tuesday, April 23, 2013

तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा जीवनोपलब्धि सम्मान समारोह संपन्न


तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा जीवनोपलब्धि सम्मान समारोह संपन्न
वाणी जयराम, श्याम सुंदर गोइन्का और रमेश गुप्त नीरद सम्मानित
 

तमिलनाडु हिंदी साहित्य द्वारा जीवनोपलब्धि सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया. जिसमें वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष एवं मानव संसाधन मंत्रालय की इकाई केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक प्रो. केशरीलाल वर्मा जी ने मुख्य अतिथि के पद को सुशोभित किया. कॉलीवुड के जेमिनी थिएयर के प्रथम फिल्म तकनीशियन तथा निर्माता-निर्देशक श्री एन कृष्णस्वामी जी विशिष्ट अतिथि थे.

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. केशरीलाल वर्मा जी के कर-कमलों से दीप-प्रज्वलन हुआ. श्रीमती जयलक्ष्मी अजित और डॉ. अशोक दि्वेद्धी ने प्रार्थना की. अकादमी की अध्यक्षा डॉ. वत्सला किरण ने स्वागत भाषण दिया. महासचिव डॉ. निर्मला मौर्या ने संस्था का परिचय दिया. डॉ. मधु धवन, डॉ वत्सला किरण ने मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि को शाल, चाँदी का ब्रेसलेट , प्रेमोपहार तथा प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मान किया.

डॉ. रनिता भाटिया ने वाणी जयराम का परिचय दिया, मंजू रुस्तगी ने क्षी श्याम सुंदर गोइन्का तथा श्री इस्वर करुण ने रमेशगुप्त जी का परिचय दिया मंच डॉ. कुलजीत कौर तथा आर.पार्वती संभाल रहीं थीं और संचालन श्रीमती सुधा त्रिवेदी कर रही थी.

इस समारोह में प्रसिद्ध पार्श्व गायिका श्रीमती वाणी जयराम को श्रीमती शकुंतला रानी चोपडा गायन शिरोमणि पुरस्कार, व्यग्य लेखक - कवि श्री श्याम सुंदर गोइन्का को श्री विजय-मधु व्यग्य-साहित्य शिरोमणि पुरस्कार तथा गीतकार-साहित्यकार श्री रमेश गुप्त नीरद को श्रीमती शकुंतला धवन साहित्य शिरोमणि पुरस्कार प्रदान किया गया. यह तीनों पुरस्कार इक्कीस-इक्कीस हजार नकद राशि के साथ रजत मुकुट, शाल, चॉकलेय की डलिया,प्रशस्ति पत्र तथा भव्य कीर्तिमान प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया.

श्रीमती वाणी जयराम ने अपने वक्तव्य में तमिलनाडु साहित्य अकादमी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि वे कला की साधना में अपना जीवन व्यतीत करती आई हैं. और सभी सभी कला-साधकों के प्रति श्रद्धाभाव रखती हैं .हिंदी से उनका जुडाव और लगाव हमेशा रहा है.वे स्वयं भी हिंदी में कविताएँ करती हैं. उन्होंने अपने दो गीत गाकर भी सुनाए.साथ ही श्रोताओं की माँग पर गुड्डी फिल्म का प्रसिद्ध गीत बोले रे पपीहरा.. भी गाकर सुनाया.जिसे सुनकर विशाल सभागार तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा.

श्री श्याम सुंदर गोइन्का ने अपने वक्तव्य में सम्मान हेतु सभी चेन्नैवासियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह वही चेन्नै है जहाँ मैंने जीवन की शुरुआत की थी. आज उसी शहर में सम्मानित होकर वे अभिभूत हैं. अपनी साहित्य साधना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि लोग भले ही उन्हें व्यवसायी कहे लेकिन उनकी असली यारी तो साहित्य से है.खासतौर पर से समाज की विद्रूपताओं पर प्रहार कर उनके सुधार के प्रयास करना उनका लक्ष्य है.अपनी व्यंग्य रचनाओं से सबको खूब हसाया और तालियाँ बटोरी.

श्री रमेशगुप्त नीरद ने सम्मान के उपरांत अपने भाव व्यक्त करते हुए अपने लंबे साहित्यिक सफर और पथ के संघर्षों को याद किया. उन्होंने अपने इस पथ के सभी साथियों को याद किया.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. केशरीलाल वर्मा ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि संस्था की संस्थापिका डॉ. मधु धवन के निमंत्रण पर वे आए हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि उनके निदेशन में दक्षिण भारत में हिंदी का प्रचार-प्रसार में न केवल पूर्ववत सहयोग प्राप्त होता रहेगा अपितु नई योजनाओं के साथ नए आयाम भी जुडेंगे. उन्होंने वाणी जयराम के गीतों के प्रति अपने आकर्षण को प्रकट करते हुए सभी पुरस्कार प्राप्त कलासाधकों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें साधुवाद दिया..

इस अवसर पर अपने तमिल-हिंदी अनुवाद कार्यों से सम्मानित डॉ.गोविंदराजन,डॉ.आर.जमुना, कवयित्री तथा समाज सेवी श्रीमती मोहिनी चोराडिया. वयोवृद्ध हिंदी प्रचारक शौरिराजन, हिंदी के प्रचारार्थ संलग्न श्रीमती निर्मल भसीन, तमिल-हिंदी के सेतु का कार्य करनेवाले अनुवादक डॉ. पि.के.बालासुब्रमणियन को अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न तथा 1100 की नकद राशि द्वारा सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर तमिलनाडु साहित्य बुलेटिन के प्रवेशांक का लोकार्पण मुख्य अतिथि के कर-कमलों से हुआ.जिसकी पहली प्रति वरिष्ठ कवि डॉ चुन्नीलाल शर्मा जी को प्रदान की गई.साथ ही डॉ.मधु धवन द्वारा संपादित पुस्तक
समरसता गवाक्ष के पार ( पुदुचेरी के उप-राज्यपाल महामहिमडॉ. इकबाल सिंह के 100 भाषणों का हिंदी अनुवाद है.) श्री रमेशगुप्त नीरद जी की चार पुस्तकें---चिंगारी के अंश समीक्षात्मक लेख-संपादकीय, खुली खिडकियाँ. (सामसामयिक निबंध)बहुत कुछ छुट गया. मेरे गीत तुम्हारे साथी - काव्य संग्रह का लोकार्पण किया गया.

इस समारोह को भांगडा नृत्य ने चार चाँद लगाए. अंत में संस्था के कोशाध्यक्ष डॉ. हुसैन वलि जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया. राष्ट्र गान से समारोह का समापन हुआ.

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