Thursday, June 13, 2013

घर-घर धर हिंदी कलश...

दोहा सलिला:

घर-घर धर हिंदी कलश...
 
संजीव 
 
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घर-घर धर हिंदी कलश, हिंदी-मन्त्र  उचार.
 
हिन्दवासियों  का 'सलिल', हिंदी से उद्धार..
 
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दक्षिणभाषी सीखते, हिंदी स्नेह समेत.

उनकी  भाषा सीख ले, होकर 'सलिल' सचेत..
 
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हिंदी मैया- मौसियाँ, भाषा-बोली अन्य.
 
मातृ-भक्ति में रमा रह, मौसी होगी धन्य..
 
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पशु-पक्षी तक बोलते, अपनी भाषा मीत.
 
निज भाषा भूलते, कैसी अजब अनीत??
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माँ को आदर दे नहीं, मौसी से जय राम.
 
करे जगत में हो हँसी, माया मिली न राम..
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