Sunday, July 13, 2014

साहित्य समाज परिवर्तन की विधा : जयकिशनशर्मा


साहित्य समाज परिवर्तन की विधा : जयकिशनशर्मा
पुस्तक 'देश कठपुतलियों के हाथ में’ के लिए राष्ट्रीय पत्र लेखक मंच ने लेखक लोकेन्द्रका किया सम्मान


ग्वालियर१३ जुलाई। साहित्य समाज परिवर्तन की विधा है। इसलिए साहित्य का सृजनकरते समय बड़ी सोच समझकर शब्दों का चयन करना चाहिए। लेखन सकारात्मक बदलावके लिए होना चाहिए। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते समय भी मर्यादा का ख्याल रखनाजरूरी है। ये विचार मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त जनकिशन शर्मा ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रीयपत्र लेखक मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। इस मौकेपर मंच की ओर से साहित्यकार और लेखक लोकेन्द्र सिंह को उनकी पुस्तक 'देशकठपुतलियों के हाथ में’ के लिए सम्मानित किया गया। लेखक श्री सिंह ने कहा कि राजनीतिकोई बुरी बला नहीं है। इसे जानना और समझना प्रत्येक भारतीय के लिए जरूरी है। 
            सूचना आयुक्त श्री शर्मा ने कहा कि लेखन समाज की दशा तय करता है।नकारात्मक लेखक होगा तो समाज में नकारात्मकता बढ़ेगी। इसीलिए लेखन में सावधानीबरतनी चाहिए। नए जमाने में सोशल मीडिया ने प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादीउपलब्ध करा दी है। सोशल मीडिया अधिक लोकतंत्र है। प्रत्येक व्यक्ति समाज हित में सोशलमीडिया का अच्छा उपयोग कर सकता है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक घनश्यामपिरोनिया ने कहा कि पत्र लेखक बड़ी महती जिम्मेदारी है। लेकिनपत्र लेखकों को तय करनाचाहिए कि पत्र लिखने के लिए उनका विषय क्या होअध्ययन के बाद ही गंभीर मसलों परअपनी राय जाहिर करना चाहिए। कार्यक्रम के बतौर विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ताराजेश सोलंकी ने कहा कि 'संपादक के नाम पत्र’ पर शासन ही नहीं आमजन और संपादक भीध्यान देते हैं। राष्ट्रीय पत्र लेखक मंच की कार्यशाला सराहनीय प्रयास हैइससे कई लोग पत्रलिखने के लिए प्रेरित होंगे। इस मौके पर पत्र लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन कियागया। प्रथमद्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार दिए गए। इसमौके पर  मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा के अध्यक्ष राजकिशोर वाजपेयीमंच के प्रदेशअध्यक्ष रमेशचन्द्र सेन और संभागीय अध्यक्ष प्रवीण प्रजापति भी मौजूद थे।  

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